विभिन्न विषयों पर कविता

अत्याचार पर कविता
ए पी जे अब्दुल कलाम पर कविता
खुद पर कविता
गांधी जयंती पर कविता
गेहूं पर कविता : Hindi poem gehun
घमंड पर कविता
ठंड पर कविता
जीवन नैया हिंदी कविता
नथुली पर कविता
पिता पर कविता : Pita par kavita
प्यार पर कविता
फर्जी डिग्री कविता
बेटे पर कविता
बेटी पर कविता
बेताबियां हिंदी कविता
भैंस की कविता
भौतिकवाद कविता
माचिस पर कविता : Machis par kavita
माँ पर कविता हिंदी में
मुरसेनियां (मेरी जन्मभूमि)
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला दिल्ली
सेल्फी पर कविता हिंदी में
संस्कार पर कविता : Sanakaar Hindi Poem
संस्कार पर कविता : Sanskar Hindi Poem
हृदय पुष्प पर कविता : Heart Flower Poem

Featured Post

बेटा पर कविता

चित्र
कविता सुनें : Watch the Poem मैं और मेरी जया दोनों खुशहाल एक था हमारा नटखट गोपाल चौथी में पढ़ता था उम्र नौ साल जान से प्यारा हमें अपना लाल तमन्ना थी मैं खूब पैसा कमाऊँ अपने लाडले को एक बड़ा आदमी बनाऊं उसे सारे सुख दे दूँ ऐसी थी चाहत और देर से घर लौटने की पड़ गई थी आदत मैं उसको वांछित समय न दे पाता मेरे आने से पहले वह अक्सर सो जाता कभी कभी ही रह पाते हम दोनों साथ लेशमात्र होती थीं आपस में बात एक दिन अचानक मैं जल्दी घर आया बेटे को उसदिन जगा हुआ पाया पास जाकर पूछा क्या कर रहे हो जनाब तो सवाल पर सवाल किया पापा एक बात बताएँगे आप सुबह जाते हो रात को आते हो बताओ एक दिन में कितना कमाते हो ऐसा था प्रश्न कि मैं सकपकाया खुद को असमंजस के घेरे में पाया मुझे मौन देख बोला क्यों नहीं बताते हो आप एक दिन में कितना कमाते हो मैंने उसे टालते हुए कहा ज्यादा बातें ना बनाओ तुम अभी बच्चे हो पढाई में मन लगाओ वह नहीं माना, मेरी कमीज खींचते हुए फिर बोला जल्दी बताओ जल्दी बताओ मैंने झिड़क दिया यह कहकर बहुत बोल चुके अब शांत हो जाओ देखकर मेरे तेवर, उसका अदना सा मन सहम गया मुझ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

संस्कार पर कविता

गंजापन पर कविता


ब्लॉग पर प्रकाशित रचना कॉपीराइट के अधीन हैं इनकी नकल या प्रयोग करना गैरकानूनी या कॉपीराइट का उल्लंघन है