2 अक्टूबर कविता
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आज का विशेष दिन
याद लेके आया फिर,
"बापू" और "लाल" दो महान इंसान की।
सत्य औ अहिंसा के
पुजारी बापू कहलाए,
सादगी-सरलता लालजी की पहचान थी।
आजादी दिलाए एक
बिना ढाल-तलवार,
जय-जवान जय-किसान दूसरे की शान थी।
आओ उन राहों पै चलें
जो दिखलाई हमें,
सच्ची भेंट होगी उन्हें वही सम्मान की॥
आज का विशेष दिन
याद लेके आया फिर,
"बापू" और "लाल" दो महान इंसान की।
सत्य औ अहिंसा के
पुजारी बापू कहलाए,
सादगी-सरलता लालजी की पहचान थी।
आजादी दिलाए एक
बिना ढाल-तलवार,
जय-जवान जय-किसान दूसरे की शान थी।
आओ उन राहों पै चलें
जो दिखलाई हमें,
सच्ची भेंट होगी उन्हें वही सम्मान की॥