भैंस पर कविता
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भैंस खो गई चचा जान की, चर्चा चारों ओर।
गली, मोहल्ला, दिल्ली, पहुँचा अमरीका तक शोर॥
अमरीका तक शोर, दौड़तीं साईकिल, फौजें।
काम छोड़कर सारे, उनकी भैंसें खोजें॥
दिन और रात एक करके, नौकरी बचाई।
ली राहत की साँस, पुलिस ने भैंसे पाईं॥
बोले मेरी भैंस का, दुनियाँ में नहीं मेल।
महारानी विक्टोरिया, इसके आगे फेल॥
इसके आगे फेल, दुधारू हम भी मानें।
लेकिन सीधी सादी को, बेअक्ल पुकारें॥
रंग-रूप पर इसके, कोई गीत न आया।
इसी बहाने सही, भैंस ने रुतबा पाया॥