सर्दी पर कविता
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सुन्न हो गए हाथ और पैर हो गए जाम।
सूं-सूं करती नाक और ठिठुरे दोनों कान॥
ठिठुरे दोनों कान कि सी-सी करते डोलें।
मुँह से धूँआं उड़े दाँत भी कट-कट बोलें॥
पारा नीचे गिरा समझ लो आफत आई।
छोड़े सारे काम बैठ गए ओढ़ रजाई॥