हृदय पुष्प कविता

Shabd Sarovar Poem



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कभी कभी तो देख किसी को हृदय पुष्प खिल उठता,
अनजाना अपना बनता फिर जान से प्यारा लगता॥

कभी किसी की एक झलक ही कई जख्म दे जाती,
बन जाती नासूर और फिर रह-रह कर तड़पाती॥

मेरे साथ हुआ जैसा मीरा किस्मत का लेखा,
आपको भी बतलाऊंगा मैंने कब और क्या देखा॥