रिटायरमेंट पर कविता
Dr. Meenakshi Kar |
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राह चलते भी देखा है,
काम करते भी देखा है,
हिंदी पखवाड़े में उनको,
एक जज बनते देखा है,
डॉ. कर को जब भी कहीं,
मैं सामने पाया,
होंठ हिलते हैं कम अक्सर,
उन्हें चुपचाप देखा है॥
सभ्यता सौम्यता शालीनता,
कोई आप से सीखे,
बोलकर ही नहीं कुछ लोग,
चुप रहके भी हैं कहते,
आपकी सादगी जीती रहे,
खुशियाँ कदम चूमें,
जो सच्चे हैं उन्हें अच्छे ही फल,
भगवान देता है॥