हिन्दी दिवस पर कविता

Shabd Sarovar Hindi Poetry



कविता सुनें : Watch the Poem



बन गई महारानी एक दिन बन गई महारानी।
तीन सौ चौंसठ दिन की दासी बन गई महारानी॥

बात सितम्बर चौदह की जिसका मैं करूँ खुलासा।
काया पलट हुई थी मेरी बन गई एक तमाशा।
ऐसा दिन आया लासानी॥

मेरे नाम के बैनर जिनसे स्वागत द्वार सजाये।
विद् विवेकी पंडित ज्ञानी अतिथि बनकर आये।
मेरी महिमा खूब बखानी॥

शपथ ले रहे कसम खा रहे हिंदी अपनायेंगे।
मिला न जो सम्मान आज तक अब हम दिलवायेंगे।
सबने अपनी अपनी तानी॥

सभा गोष्ठी व्याख्यानों में मेरी ही चर्चा थी।
जैसे सावन लौट के आया हिंदी की वर्षा थी।
बैरिन देख देख खिसियानी॥

टीवी और अखबार रेडियो पर भी हिंदी छाई।
भारत माँ का गौरव हिंदी देते सभी दुहाई।
हमको इसकी शान बढानी॥

दिल का तार तार गाये मेरा रोम रोम मुस्काए।
कंपित अधर मौन थे पर नैंनों की चमक बताए।
मैं हूँ मगन सभी ने जानी॥

पुलकित सखी सहेली सोचें अब सपने सच होंगे।
हिंदी आज बनी रानी कल अपने दिन बदलेंगे।
हम रानी हिंदी पटरानी॥

आया दिवस सितम्बर पंद्रह मेला पीछे छूटा।
सपना देख रही थी मानो आँख खुली और टूटा।
फिर से भरूँ गैर का पानी॥

रानी का चोला पहनाकर सब्जबाग दिखलाया।
फिर जज्बातों से खेले कैसा मुझको भरमाया।
मैं नादान नहीं पहचानी॥

कुंठित मन बेचैन स्वयं को कैसे धीर बंधाऊं।
किस्मत की हेठी हूँ या अपनों का दोष बताऊँ।
भीगी पलकें मति बौरानी॥

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कविता सुनें : Watch the Poem मैं और मेरी जया दोनों खुशहाल एक था हमारा नटखट गोपाल चौथी में पढ़ता था उम्र नौ साल जान से प्यारा हमें अपना लाल तमन्ना थी मैं खूब पैसा कमाऊँ अपने लाडले को एक बड़ा आदमी बनाऊं उसे सारे सुख दे दूँ ऐसी थी चाहत और देर से घर लौटने की पड़ गई थी आदत मैं उसको वांछित समय न दे पाता मेरे आने से पहले वह अक्सर सो जाता कभी कभी ही रह पाते हम दोनों साथ लेशमात्र होती थीं आपस में बात एक दिन अचानक मैं जल्दी घर आया बेटे को उसदिन जगा हुआ पाया पास जाकर पूछा क्या कर रहे हो जनाब तो सवाल पर सवाल किया पापा एक बात बताएँगे आप सुबह जाते हो रात को आते हो बताओ एक दिन में कितना कमाते हो ऐसा था प्रश्न कि मैं सकपकाया खुद को असमंजस के घेरे में पाया मुझे मौन देख बोला क्यों नहीं बताते हो आप एक दिन में कितना कमाते हो मैंने उसे टालते हुए कहा ज्यादा बातें ना बनाओ तुम अभी बच्चे हो पढाई में मन लगाओ वह नहीं माना, मेरी कमीज खींचते हुए फिर बोला जल्दी बताओ जल्दी बताओ मैंने झिड़क दिया यह कहकर बहुत बोल चुके अब शांत हो जाओ देखकर मेरे तेवर, उसका अदना सा मन सहम गया मुझ

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