स्वागत समारोह कविता

>
Shabd Sarovar Hindi Poems
Prof. Ramesh Chandra Budhani

कविताएं सुनें : Watch my Poetry


सुस्वागत बुधानी सर एनपीएल में आज करते हैं।
विलम्बित है बहुत यह बात भी स्वीकार करते हैं॥
कोई मौका नहीं पाया इसे पहले जो कह पाते।
आज हैं सामने तो हम इसे इजहार करते हैं॥


गौरवान्वित हुए हैं हम निदेशक आपको पाकर।
प्रतिष्ठा में जड़ेंगे चाँद तारे आप हम मिलकर॥
कुशल नेतृत्व की शुभकामना देते हैं सब दिल से।
इशारों पर चलेंगे आपके इकरार करते हैं॥

Featured Post

बेटा पर कविता

चित्र
कविता सुनें : Watch the Poem मैं और मेरी जया दोनों खुशहाल एक था हमारा नटखट गोपाल चौथी में पढ़ता था उम्र नौ साल जान से प्यारा हमें अपना लाल तमन्ना थी मैं खूब पैसा कमाऊँ अपने लाडले को एक बड़ा आदमी बनाऊं उसे सारे सुख दे दूँ ऐसी थी चाहत और देर से घर लौटने की पड़ गई थी आदत मैं उसको वांछित समय न दे पाता मेरे आने से पहले वह अक्सर सो जाता कभी कभी ही रह पाते हम दोनों साथ लेशमात्र होती थीं आपस में बात एक दिन अचानक मैं जल्दी घर आया बेटे को उसदिन जगा हुआ पाया पास जाकर पूछा क्या कर रहे हो जनाब तो सवाल पर सवाल किया पापा एक बात बताएँगे आप सुबह जाते हो रात को आते हो बताओ एक दिन में कितना कमाते हो ऐसा था प्रश्न कि मैं सकपकाया खुद को असमंजस के घेरे में पाया मुझे मौन देख बोला क्यों नहीं बताते हो आप एक दिन में कितना कमाते हो मैंने उसे टालते हुए कहा ज्यादा बातें ना बनाओ तुम अभी बच्चे हो पढाई में मन लगाओ वह नहीं माना, मेरी कमीज खींचते हुए फिर बोला जल्दी बताओ जल्दी बताओ मैंने झिड़क दिया यह कहकर बहुत बोल चुके अब शांत हो जाओ देखकर मेरे तेवर, उसका अदना सा मन सहम गया मुझ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

संस्कार पर कविता

गंजापन पर कविता


ब्लॉग पर प्रकाशित रचना कॉपीराइट के अधीन हैं इनकी नकल या प्रयोग करना गैरकानूनी या कॉपीराइट का उल्लंघन है