रिटायरमेंट पर कविता

Shabd Sarovar Poetry
Dr. S.R. Gupta

कविताएं सुनें : Watch my Poetry


दो नामों के मेल से बनता जिनका नाम।
दो विद्युत मानकों की जिनके हाथ कमान॥
जिनके हाथ कमान एक इंसान भी अच्छे।
कर्तव्यों-प्रति सजग और नियमों के पक्के॥
हाई करेंट और हाई वोल्टेज के हैं ज्ञाता।
नेट-संयोजक पद से आपका गहरा नाता॥

बहुत हुआ विज्ञान और खूब कमाया नाम।
अब बारी परिवार की उन पर देना ध्यान॥
उन पर देना ध्यान सॅंग-सॅंग हॅंसना-गाना।
दामपत्य के वचनों को फिर से दोहराना॥
स्वस्थ सुखी जीवन दें ईश्वर बनें सहाई।
एस आर गुप्ता साह करो स्वीकार विदाई॥

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कविता सुनें : Watch the Poem मैं और मेरी जया दोनों खुशहाल एक था हमारा नटखट गोपाल चौथी में पढ़ता था उम्र नौ साल जान से प्यारा हमें अपना लाल तमन्ना थी मैं खूब पैसा कमाऊँ अपने लाडले को एक बड़ा आदमी बनाऊं उसे सारे सुख दे दूँ ऐसी थी चाहत और देर से घर लौटने की पड़ गई थी आदत मैं उसको वांछित समय न दे पाता मेरे आने से पहले वह अक्सर सो जाता कभी कभी ही रह पाते हम दोनों साथ लेशमात्र होती थीं आपस में बात एक दिन अचानक मैं जल्दी घर आया बेटे को उसदिन जगा हुआ पाया पास जाकर पूछा क्या कर रहे हो जनाब तो सवाल पर सवाल किया पापा एक बात बताएँगे आप सुबह जाते हो रात को आते हो बताओ एक दिन में कितना कमाते हो ऐसा था प्रश्न कि मैं सकपकाया खुद को असमंजस के घेरे में पाया मुझे मौन देख बोला क्यों नहीं बताते हो आप एक दिन में कितना कमाते हो मैंने उसे टालते हुए कहा ज्यादा बातें ना बनाओ तुम अभी बच्चे हो पढाई में मन लगाओ वह नहीं माना, मेरी कमीज खींचते हुए फिर बोला जल्दी बताओ जल्दी बताओ मैंने झिड़क दिया यह कहकर बहुत बोल चुके अब शांत हो जाओ देखकर मेरे तेवर, उसका अदना सा मन सहम गया मुझ

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