देशभक्ति की कविता

Shabd Sarovar Hindi Poems
Colonel Santosh Mahadik


कविताएं सुनें : Watch my Poet Poetry


जब कर्नल संतोष ने दिया अमर बलिदान,
दहशतगर्दी के विरोध में आए नहीं बयान,
आये नहीं बयान राजनेता नहीं बोले,
बुद्धिजीवी औ कलाकार भी मुँह नहीं खोले,
सहिष्णु क्या एक ही वर्ग की करते निंदा?
या यह केवल राजनीति का गोरख धंधा??

उदाहरण है सामने सभी हो गए एक,
आतंकी के सामने खड़ा हो गया देश,
खड़ा हो गया देश हाथ से हाथ मिलाया,
राष्ट्रधर्म सबसे ऊपर रख उसे निभाया,
इसी तरह आतंकवाद से हमको लड़ना,
राजनीति के वक्त राजनीती भी करना॥

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कविता सुनें : Watch the Poem मैं और मेरी जया दोनों खुशहाल एक था हमारा नटखट गोपाल चौथी में पढ़ता था उम्र नौ साल जान से प्यारा हमें अपना लाल तमन्ना थी मैं खूब पैसा कमाऊँ अपने लाडले को एक बड़ा आदमी बनाऊं उसे सारे सुख दे दूँ ऐसी थी चाहत और देर से घर लौटने की पड़ गई थी आदत मैं उसको वांछित समय न दे पाता मेरे आने से पहले वह अक्सर सो जाता कभी कभी ही रह पाते हम दोनों साथ लेशमात्र होती थीं आपस में बात एक दिन अचानक मैं जल्दी घर आया बेटे को उसदिन जगा हुआ पाया पास जाकर पूछा क्या कर रहे हो जनाब तो सवाल पर सवाल किया पापा एक बात बताएँगे आप सुबह जाते हो रात को आते हो बताओ एक दिन में कितना कमाते हो ऐसा था प्रश्न कि मैं सकपकाया खुद को असमंजस के घेरे में पाया मुझे मौन देख बोला क्यों नहीं बताते हो आप एक दिन में कितना कमाते हो मैंने उसे टालते हुए कहा ज्यादा बातें ना बनाओ तुम अभी बच्चे हो पढाई में मन लगाओ वह नहीं माना, मेरी कमीज खींचते हुए फिर बोला जल्दी बताओ जल्दी बताओ मैंने झिड़क दिया यह कहकर बहुत बोल चुके अब शांत हो जाओ देखकर मेरे तेवर, उसका अदना सा मन सहम गया मुझ

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