सच पर कविता

Shabd Sarovar Poetry


कविताएं सुनें : Watch my poetry



नीम-निबौली पर मैं मीठी परतें नहीं चढाता हूँ।
हाथ झुलस जाते हैं लेकिन सच का दीप जलाता हूँ॥

उम्मीदों के आसमान पर शंकाओं का घना अंधेरा।
दुर्गा जहाँ शिकार हो गई कैसे होगा वहाँ सवेरा।
कर्तव्यों की बलिबेदी पर नरेन्द्र सिंह शहीद हो गए।
सोच खेमका की सच्ची तो उनको तबादलों ने घेरा।
किरण उजाले की उठते हीं यहाँ दबा दी जाती है।
एक खड़ा हो अभिमन्यु तो कोटि जयद्रथ पाता हूँ॥

सीमा पर घुसपैठ हो रही शीश सैनिकों के कट जाते।
बेटी घर से बाहर हों तो उन्हें भेडि़ए नोंचते खाते।
मासूमों के खाने में भी जहर मिलाया जाता है।
आतंकी और दंगाई तो जब चाहें कोहराम मचाते।
कोई नहीं रोकता है इन बहिशी और दरिंदों को।
कहाँ छुपे हो आकाओ मैं तुम्हें आवाज लगाता हूँ॥

अपने कल का पता नहीं है लोगों को बहकाते हैं।
कालव्याख्या करने वाले झूठे स्वांग रचाते हैं।
खरे नहीं चल पाते लेकिन खोटे सिक्के दौड़ रहे।
घड़ी बंद है जिनकी ऐसे बाबा समय बताते हैं।
संत कहे कोई इनको कोई अवतार बना देता।
रोज ठगे जाते फिरभी लाखों की भीड़ दिखाता हूँ॥

दीपक तले अंधेरा तो कुछ साथ हमेशा चलता है।
कुछ अच्छे इंसानों में दो-एक बुरा भी मिलता है।
उलट गए अनुपात आज सौ में कोई अच्छा एक मिले।
चाह उजाले की लेकर तब कड़ुवा-सत्य निकलता है।
ढहती हैं आशाएं लेकिन फिर से नींव जमाकर मैं।
मुट्ठी भर विश्वास हवाओं में भी रोज मिलाता हूँ॥

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कविता सुनें : Watch the Poem मैं और मेरी जया दोनों खुशहाल एक था हमारा नटखट गोपाल चौथी में पढ़ता था उम्र नौ साल जान से प्यारा हमें अपना लाल तमन्ना थी मैं खूब पैसा कमाऊँ अपने लाडले को एक बड़ा आदमी बनाऊं उसे सारे सुख दे दूँ ऐसी थी चाहत और देर से घर लौटने की पड़ गई थी आदत मैं उसको वांछित समय न दे पाता मेरे आने से पहले वह अक्सर सो जाता कभी कभी ही रह पाते हम दोनों साथ लेशमात्र होती थीं आपस में बात एक दिन अचानक मैं जल्दी घर आया बेटे को उसदिन जगा हुआ पाया पास जाकर पूछा क्या कर रहे हो जनाब तो सवाल पर सवाल किया पापा एक बात बताएँगे आप सुबह जाते हो रात को आते हो बताओ एक दिन में कितना कमाते हो ऐसा था प्रश्न कि मैं सकपकाया खुद को असमंजस के घेरे में पाया मुझे मौन देख बोला क्यों नहीं बताते हो आप एक दिन में कितना कमाते हो मैंने उसे टालते हुए कहा ज्यादा बातें ना बनाओ तुम अभी बच्चे हो पढाई में मन लगाओ वह नहीं माना, मेरी कमीज खींचते हुए फिर बोला जल्दी बताओ जल्दी बताओ मैंने झिड़क दिया यह कहकर बहुत बोल चुके अब शांत हो जाओ देखकर मेरे तेवर, उसका अदना सा मन सहम गया मुझ

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