जामुन पर कविता
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वर्षा आई बढ़ गई उमस हुए बेहाल
काले फल से लद गई जामुन की हर डाल॥
कल तक थे कच्चे हरे और कषैला स्वाद।
बूदें पाकर हो गए मीठे काले स्याह॥
मुरझाई सी पत्तियां लगती थी बेरंग।
हरियल होकर झूमती आज हवा के संग॥
काली जामुन देखकर बेशक टपके लार।
चढ़ना मत इस पेड़ पर बहुत करकरी डार॥
बेर न रहा गरीब का जामुन छूटा जाइ।
बीस रूपइये पाव हैं कैसे कोई खाइ॥