सेवानिवृति पर कविता

Shabd Sarovar Poem
Dr. P. Banerjee



कविता सुनें : Watch the Poem


क्या-क्या कहें शान में इनकी क्या-क्या आज सुनाऐं।
लगता है ऐसे जैसे सूरज को दीप दिखाऐं॥

मंगल का वह दिन था जिस पल आप जहाँ में आए।
वर्धमान में पले-बढ़े वैज्ञानिक बन यहाँ आए।
जितना मान आपने पाया विरले ही वह पाऐं॥
लगता है ऐसे जैसे सूरज को दीप दिखाऐं॥

कद-काठी हम जैसी पर मस्तिष्क आपका खास है।
सोच असाधारण है जिसकी नहीं सभी के पास है।
वैज्ञानिक के जितने भी गुण उसमें खूब समाऐं॥
लगता है ऐसे जैसे सूरज को दीप दिखाऐं॥

दिल भी सच्चा पाया है जो भेदभाव ना जाने।
इंसानों की परख जिसे और काम को भी पहचाने।
छोटे-बड़े सभी को मिलकर चलना आप सिखाऐं॥
लगता है ऐसे जैसे सूरज को दीप दिखाऐं॥

बार-बार कोई मिले आपसे या कोई पहली बार मिले।
हॅंसमुख चेहरा दिखे हमेशा लगता जैसे कॅंवल खिले।
नाम सार्थक करे सदा ऐसी सूरत दिखलायें॥
लगता है ऐसे जैसे सूरज को दीप दिखाऐं॥

कितने पेपर हुए प्रकाशित और कई पेटेन्ट हुए।
तकनीकें विकसित कर अपना एनपीएल का नाम किए।
टेली-क्लॉक एक उनमें से मानक समय बताऐं॥
लगता है ऐसे जैसे सूरज को दीप दिखाऐं॥

मान और सम्मान प्रतिष्ठित कमेटियों में चुने गए।
इलैक्ट्रोमैग्नैटिक कमीशन 'ए' के चेयरमैन बने।
एशिया महाद्वीप से जो इकलौता नाम बतलाऐं॥
लगता है ऐसे जैसे सूरज को दीप दिखाऐं॥

यूँ ही खिलता रहे सदा ये चेहरा ना मुरझाए।
सेवानिवृत जीवन में कोई दुःख की घड़ी न आए।
मंगल हों आगे भी हम सब ऐसी आस लगाऐं॥
लगता है ऐसे जैसे सूरज को दीप दिखाऐं॥

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कविता सुनें : Watch the Poem मैं और मेरी जया दोनों खुशहाल एक था हमारा नटखट गोपाल चौथी में पढ़ता था उम्र नौ साल जान से प्यारा हमें अपना लाल तमन्ना थी मैं खूब पैसा कमाऊँ अपने लाडले को एक बड़ा आदमी बनाऊं उसे सारे सुख दे दूँ ऐसी थी चाहत और देर से घर लौटने की पड़ गई थी आदत मैं उसको वांछित समय न दे पाता मेरे आने से पहले वह अक्सर सो जाता कभी कभी ही रह पाते हम दोनों साथ लेशमात्र होती थीं आपस में बात एक दिन अचानक मैं जल्दी घर आया बेटे को उसदिन जगा हुआ पाया पास जाकर पूछा क्या कर रहे हो जनाब तो सवाल पर सवाल किया पापा एक बात बताएँगे आप सुबह जाते हो रात को आते हो बताओ एक दिन में कितना कमाते हो ऐसा था प्रश्न कि मैं सकपकाया खुद को असमंजस के घेरे में पाया मुझे मौन देख बोला क्यों नहीं बताते हो आप एक दिन में कितना कमाते हो मैंने उसे टालते हुए कहा ज्यादा बातें ना बनाओ तुम अभी बच्चे हो पढाई में मन लगाओ वह नहीं माना, मेरी कमीज खींचते हुए फिर बोला जल्दी बताओ जल्दी बताओ मैंने झिड़क दिया यह कहकर बहुत बोल चुके अब शांत हो जाओ देखकर मेरे तेवर, उसका अदना सा मन सहम गया मुझ

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