नए साल की बधाई

Hindi Poetry


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दो हजार बारह गया "तेरह" का आगाज,
मनोकामना पूर्ण हों बनें सभी के काज,

बनें सभी के काज द्वेष ना उपजे उर में,
बढ़े प्रेम-सौहार्द ख़ुशी महके घर-घर में,

जनहित की हो सोच बदल जाए परिपाटी,
शासक समझें दर्द न भाँजे जन पर लाठी॥