गुलमोहर : अमलतास

स्वरचित हिंदी कविता


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फूल पात कुम्हला गए पारा हुआ पचास।
पीली छटा बिखेरता आया अमलतास॥

फूलों के गुच्छे दिखें नहीं एक भी पात।
पीले रंग में रँग गया अमलतास का गात॥

लाल हुई गुलमोहर भी आई सुर्ख बहार।
पत्ते कहीं-कहीं दिखें फूलों की भरमार॥

लाल-सिंदूरी हो गया कली-कली का रंग।
पाँच पंखुरी बीच में जिनके है मकरंद॥

सूरज डाल नहीं सका इन पर कोई प्रभाव।
ज्यों-ज्यों उगले आग वो त्यों-त्यों आए शबाब॥

विषम परिस्थिति देखकर होना नहीं उदास।
पतझड़ है तो समझ लो आई मंजिल पास॥