जन्मदिन पर कविता
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हम सब हुए एकत्र और सबकी ऐसी राय,
जन्मदिवस पर आपके कविता भी हो जाए,
कविता भी हो जाए मगर यह समझ न आए,
जुगुनू दिनकर की प्रतिभा कैसे बतलाए,
सोच संकुचित है मेरी और ज्ञान अधूरा,
दें “जगती” आशीष छंद हो जाए पूरा॥
चलो काम की बात ही आपस में की जाए,
दस-दस घंटे काम जो करे आज बतलाए,
करे आज बतलाए नहीं कोई भीलगता,
लेकिन हमसब जानें इनमें इतनी क्षमता,
उम्र बढ़े तो कहते हैं श्रम-शक्ति सताती,
उल्टेइनकी ललक काम की बढ़तीजाती॥
कहते हैं चिढ़चिढ़ा भी हो जाता इंसान,
इस लक्षण का भी यहाँकोई नहीं निशान,
कोई नहीं निशान पास जब इनके जाते,
सहज भाव और संवेदनशीलता दिखाते,
संचालन में संयम की सीमा नहीं टूटी,
उम्र दिखाती असर हो गई साबित झूठी॥
किस पहलूको छोड़ दें क्या-क्या करेंबखान,
सारा एन पी एल ही गाता है गुणगान,
गाता है गुणगान नाम जब इनका आए,
हर कोई अब इन्हें निदेशक पद पर चाहे,
मुँह देखी तारीफ नहीं सौ प्रतिशत सच है,
चाहे जिससे पूछ लेजिसको कोई शक है॥
स्वास्थ्य बना रहे आपका और बड़ा हो नाम,
आने वालों के लिए लिखो नए पैगाम,
लिखो नए पैगाम फाउन्टेन रंग जमाए,
एक एक्सटेंशन मिली दूसरी भी हो जाए,
सर्दी हुई समाप्त बसंती रितु अब आई,
जन्मदिवस की फिर से सौ सौ बार बधाई॥