जन्मदिन पर कविता

Shabd Sarovar Poetry
Dr. A. Sen Gupta


कविता सुनें : Watch the Poem


हम सब हुए एकत्र और सबकी ऐसी राय,
जन्मदिवस पर आपके कविता भी हो जाए,
कविता भी हो जाए मगर यह समझ न आए,
जुगुनू दिनकर की प्रतिभा कैसे बतलाए,
सोच संकुचित है मेरी और ज्ञान अधूरा,
दें “जगती” आशीष छंद हो जाए पूरा॥

चलो काम की बात ही आपस में की जाए,
दस-दस घंटे काम जो करे आज बतलाए,
करे आज बतलाए नहीं कोई भीलगता,
लेकिन हमसब जानें इनमें इतनी क्षमता,
उम्र बढ़े तो कहते हैं श्रम-शक्ति सताती,
उल्टेइनकी ललक काम की बढ़तीजाती॥

कहते हैं चिढ़चिढ़ा भी हो जाता इंसान,
इस लक्षण का भी यहाँकोई नहीं निशान,
कोई नहीं निशान पास जब इनके जाते,
सहज भाव और संवेदनशीलता दिखाते,
संचालन में संयम की सीमा नहीं टूटी,
उम्र दिखाती असर हो गई साबित झूठी॥

किस पहलूको छोड़ दें क्या-क्या करेंबखान,
सारा एन पी एल ही गाता है गुणगान,
गाता है गुणगान नाम जब इनका आए,
हर कोई अब इन्हें निदेशक पद पर चाहे,
मुँह देखी तारीफ नहीं सौ प्रतिशत सच है,
चाहे जिससे पूछ लेजिसको कोई शक है॥

स्वास्थ्य बना रहे आपका और बड़ा हो नाम,
आने वालों के लिए लिखो नए पैगाम,
लिखो नए पैगाम फाउन्टेन रंग जमाए,
एक एक्सटेंशन मिली दूसरी भी हो जाए,
सर्दी हुई समाप्त बसंती रितु अब आई,
जन्मदिवस की फिर से सौ सौ बार बधाई॥

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कविता सुनें : Watch the Poem मैं और मेरी जया दोनों खुशहाल एक था हमारा नटखट गोपाल चौथी में पढ़ता था उम्र नौ साल जान से प्यारा हमें अपना लाल तमन्ना थी मैं खूब पैसा कमाऊँ अपने लाडले को एक बड़ा आदमी बनाऊं उसे सारे सुख दे दूँ ऐसी थी चाहत और देर से घर लौटने की पड़ गई थी आदत मैं उसको वांछित समय न दे पाता मेरे आने से पहले वह अक्सर सो जाता कभी कभी ही रह पाते हम दोनों साथ लेशमात्र होती थीं आपस में बात एक दिन अचानक मैं जल्दी घर आया बेटे को उसदिन जगा हुआ पाया पास जाकर पूछा क्या कर रहे हो जनाब तो सवाल पर सवाल किया पापा एक बात बताएँगे आप सुबह जाते हो रात को आते हो बताओ एक दिन में कितना कमाते हो ऐसा था प्रश्न कि मैं सकपकाया खुद को असमंजस के घेरे में पाया मुझे मौन देख बोला क्यों नहीं बताते हो आप एक दिन में कितना कमाते हो मैंने उसे टालते हुए कहा ज्यादा बातें ना बनाओ तुम अभी बच्चे हो पढाई में मन लगाओ वह नहीं माना, मेरी कमीज खींचते हुए फिर बोला जल्दी बताओ जल्दी बताओ मैंने झिड़क दिया यह कहकर बहुत बोल चुके अब शांत हो जाओ देखकर मेरे तेवर, उसका अदना सा मन सहम गया मुझ

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